Avoid fraud

भारत एक प्राचीन संस्कृती का देश है. जिसमे श्रद्धालु भी है और पाखंडी भी. इसमे भगवान स्वरुप योगी संत महात्मा भी है और संतोंका ढोंग रचाये हुए स्वयम घोषित पाखंडी भी. वैसे ही खजाना ढूंढ्ने के क्षेत्र मे अनेक डुप्लिकेट लोग भी कार्यरत है. इनमे नीचे दिये गये हुये चीजोंसे सावधान रहिये...

1) आसमान से पैसा गिराना , या पैसे कि बारिश करना... यह एक जबरदस्त फ्रॉड है. आज तक किसी भी पुराण शास्त्र मे ना इसके प्रमाण मिले है, ना कोई इसे कर सकता है, सिर्फ और सिर्फ हवा मे ही बाते होती रहती है. जो बाबा-भगत इसका दावा करते है, उन्होने स्वयम के लिये पैसे कि बारिश करके दुनिया का अमीर आदमी बनना चाहिये. फिर वो क्यो दस पांच हजार रुपये आपसे फीस के रुप मे लेकर पैसा कमा रहे है? कुल मिलाकर आसमान से पैसे गिराने के दावे झूठे होते है.

2) राईस पुलर: इनके भी अनेक अनेक दावे किये जाते है. और करोडो मे इसकी कीमत बताई जाती है. ये बात हम सब की सोच से परे है... कि इस प्रकार की कोई वस्तु है ऐसा अफलातून आयडिया आखिर किस के दिमाग से निकला? चलिए मान लिया कि इस प्रकार कि कोई वस्तु इस दुनिया मे है तो ये आखिर इससे काम क्या होगा? इस वस्तु से हमे कैसा लाभ मिलेगा? इसका जवाब किसी के पास नही है. मजेदार बात ये है कि कई भेजाबाज लोगो ने तो यु ट्युबपर बकायदा विडिओ भी अपलोड किये है... यह बडा हास्यास्पद काम है. एक जगह पर इसकी कीमत करोडो मे आकी जा रही है. और दूसरी तरफ विडिओवाले के नाखून, टेबल, दिवारोंके उपर का उखडा हुआ रंग देखकर पता चलता है कि बंदा पैदाईशी फ्रोड है. कोई भी इंसान इतनी महंगी चीज को पहले मार्केट मे बेचेगा... ना कि विडिओ बनाकर जादू का खेल दिखायेगा..

एक और बात इसमे बताई जाती है,कि नासा वाले इसपर कुछ संशोधन कर रहे है.यह बकवास बाते है. नासा के डायरेक्टर लेवल तक हर किसी को हमने पूछा कि राईस पुलर नाम कि चीज मे नासा को कुछ जानकारी है? तो नासा के अधिकारियोने बताया कि नासा ऑर्गनायझेशन एक बायलॉज केउपर चलती है.वह ना तो नागमणी ढूंढ रही है ना राइस पुलर. भेजाबाजोंको लगा कि नासा का नाम बताया तो वहा तक कोई पहुंच ही नही पायेगा और पढे लिखे लोगोंको आसानी से मूर्ख बनाया जा सकता है. (और देखो बन भी रहे है) यह दिमागवाले लोग बोलते है कि इस प्रकार के डिलिंग के लिये इंडिअन गवर्न्मेंट के डिपार्ट्मेंट की परमिशन लेनी पडती है. हम तह तक गये.....सवाल पूछा, कौनसा डिपार्ट्मेंट ? आर्किऑलॉजी ? खान- खनीज ? कौनसा ?...तो हमने आय.ए.एस. लेवल के कमिशनरोंसे पूछा तो उन्होने अपने अपने डिपार्टमेंट की नियमावली (कानून की किताबे) सामने रखी... उनमे कही पर भी इन चीजोंका जिक्र नही है. फिर इन राईस-पुलर या नागमणी का दावा करनेवाले लोगोंसे पूछा कि आपने किसी डिपार्ट्मेंट को परमिशन के लिये अर्जी तो दी होगी, उस अर्जी की झेरॉक्स ही दिखा दो.... तो ये लोग वो भी नही कर पाये... कुल मिलाकर एक भ्रामक कल्पना के अंदर अपनी जिंदगी बरबाद ना करे.

3) नागमणी: यह भी किस काम मे आता है किसी को नही पता. हा, लेकिन पुराण शास्त्रोमे इसके प्रमाण मिलते है. कि नागमणी नाम की वस्तु दुनिया मे होती है. राईस पुलर के जैसे ये मन घडत कहानी नही है. लेकिन देखनेवाली बात यह है की “गुलबकावली” ”तोतामैना” ”हातीमताई” इनमे भी इसका उल्लेख है, जहॉ पर यह नागमणी चमकता हुआ सितारा या स्वयम प्रकाशीत हीरे के जैसा होता है,जो बेहद चमकिला पदार्थ बताया गया है. ऋग्वेद मे और अथर्व वेद मे इन्हे “कृशन” के नाम से जाने जाते है...

पिपरावा मे खुदाई के दरमियान शाक्य मुनि के अवशेषोंमे इस प्रकार के मणी या मोती मिले थे ऐसी पौराणिक कथाये है.

इन मणियो मे अदभुत गुण होते है ऐसा बताया गया है. लेकिन कुछ चीटरों द्वारा अपलोडेड विडीओज को हमने देखा तो वह काले रंग के प्लास्टिक के चौकोर गोलाकार मणी दिखा रहे है. कुछ भेजाबाज तो इनसे भी आगे जाकर उस नाग का तथाकथीत ऑपरेशन करते हुये और मणी निकालते हुये दिखा रहे है.

सबसे पहले जान लिजिये की नागमणी किसी सामान्य नाग के सर पर नही होत. वो ऐसे नाग के सर पर होता है जिनके तीन या पांच फड होते है. जिनके स्पेशी का शास्त्रिय नाम है “वासुकी”प्रजाती उस नाग देवता का रंग एकदम गहरा काला होता है. उनकी लम्बाई बीस फीट तक होती है. उनका भोजन सिर्फ नाग ही होते है. वो बेहद फुर्तिले और अत्यंत जहरिले होते है. उन के मणी को ऑपरेशन करके निकालना तब तक सम्भव नही है जबतक की उनकी जान ना ली जाय. लेकिन देखने वाली बात यह है की, अगर उस मणी धारी नाग देवता की जान ली जाय तो मणी का तेज खत्म हो जायेगा. मणी दरअसल उनके कंठ मे होता है.

उसे नाग देवता मुह से बाहर निकालते है. उनका उचित काम होनेपर उसे वापस वो निगल लेते है. उसे प्रियाराधना करते वक्त अपने सर पर वह धारण करते है. फिर वापस उसे निगल कर कंठ मे रखते है. लेकिन नाग मणी कभी भी नागोंके सर पर नही होता. मणी का रंग कभी भी काला नही होता.

रत्नोंके शास्त्र को अगर देखा जाय तो इसे मणी की जगह “मोती” की संज्ञा से जाना जाता है. ऐसे ही दूसरे भी मोती होते है जैसे... गज मुक्ता, यह उन विशिष्ट हाथियों के गंड स्थल (माथा) से पाया जाता है,जो पुष्य नक्शत्र पर जन्म लेते है... मीन मुक्ता,जो देव-मासा यानी विशाल काय व्हेल मछली के माथे पर पाया जाता है...बंसमुक्ता, जो बांस से प्राप्त होता है... आकाशमुक्ता जो आसमान से गिरता है...मेघ्मुक्ता, जो बारिश मे बादलोंसे आता है...शंख मुक्ता,सींप मुक्ता..क्रमश: शंख और सींप से पाये जाते है.. इसके अलावा शूकरमुक्ता भी होते है, जो वराह यानि शूकर के मस्तिष्क से प्राप्त होता है. गोरचन मणी जो गाय के मस्तिष्क से प्राप्त होता है.

4. चितावर की लकडी: इस लकडी से किसी भी धातु को काटा जा सकता है. यह भी एक दुर्लभ वस्तु है. जिनका दावा होता है कि यह चितावर्कि लकडी है, वह लोग इसे साबित नही कर सके है.

5. दरियाई इंद्र जाल: असल मे यह एक ऐसी समुद्री वनस्पती है जिसके पत्ते नही होते.यह वनस्पती फ्रेममे लटकाकर लोग ऑफिस,या घर मे रखते है, फिर उनके यहा समृद्धि कि जगह पर पनौती शुरु होती है. क्योंकि यह फेक होती है. यह वनस्पती इतने गहरे पानी मे होती है जहा सूर्य कि किरणे नही पहुच पाती. उस गहराई तक अब तक इंसान पहुच ही नही पाया है. सिर्फ और सिर्फ जलपरियॉ या समुद्र के देव प्रसन्न होने पर यह वस्तु प्राप्त होतीहै. और गलत चीज इंद्र जाल के नाम पर लगानेसे इष्ट देव नाराज होते है और पनौती शुरु हो जाती है.

6. काले चावल: ये भी रंग लगाये हुये चावल होते है. प्राचीन समय मे “पारस” के जैसे काले चावलोंका उपयोग होता थ. अगर ये गेहू मे मिला दिये जाय तो गेहू सोने मे परिवर्तित हो जाते है. प्राचिन समय मे राजा महाराजाओंके पास यह होते थे. लेकिन यह बीज ना होने के कारण इन्हे मिट्टी मे बो कर फसल नही उगाई जा सकती है. समय के साथ यह नष्ट हो गये है. चीटरोंसे सावधान.

7.अष्टगंध : एक ऐसा सेक्स टॉनिक जिसकी कीमत एक से दो लाख रुपिया तोला है. यह असल मे एक वनस्पति है जो हिमालय कि पहाडियोपर पाई जाती है. जिसे पहाडि देसी बकरे खाते है. फिर वह इतने खाते है कि वे बेहोश हो जाते है. फिर उनके मुह मे से झाग निकलता है. वह झाग निचे टपककर जब सूख जाता है तो उसमे सेक्स की ताकत बढाने कि क्षमता आ जाती है. बद्रिकेदार नाथ, ऋषिकेष, काठ्मांडू मे इसका बडा व्यापार चलता है. याद रहे अष्टगंध का कोई स्वाद नही होत.इसलिये मार्केट मे मिलने वाला मिठा अष्ट्गंध नकली होता है.

8. सियार के सिंग: इनकी कीमत भी करोडो रुपये होती है. जब सियार के प्रणय करते वक्त मादा को मार दिया जाता है तो वो पागल हो जाता है. जिससे उसका लिंग मस्तक से उपर उठ जाता है उसे सियार का सिंग कहते है. लेकिन इसके डुप्लिकेट मार्केट मे मिलतेहै. इसे टेस्ट करवाने का एक ही तरिका है... जिस जोडे को पुत्र प्रप्ति नही हो रही है, उनके घर मे ये रखने से एक साल के भीतर ही पत्नि गर्भवती होनी चाहिये... ऐसा ना होने पर इसे बेकार समझना चाहिये.

Responses

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