About Us

What we think
      हमारी सोच... सम्पूर्ण विश्व जानता है कि ब्रिटिशोंके राज से पहले भारत देश को सोने कि चिडिया कहा जाता था. फिर बहोत सिस्टेमेटिकली भारत से सोना इंग्लेंड ले जाया गया. लेकिन क्या आप जानते है कि भारत देश इतना ज्यादा समृद्ध और विशाल है कि जितना गोल्ड अग्रेजोने लूटा उससे हजार गुना ज्यादा सोना अभी भी इस देश कि मिट्टी मे गडा हुआ है.
       इसके दो कारण थे..पहला था “बैंक” के जैसे सिस्टम का अभाव और दूसरा था.... “जान का जोखम” इन्ही कारणोंसे लोग अपनी कीमती चीजे सिर्फ और सिर्फ जमीनमे गाडते थे. अभी भी सही ढंग से खोदाइ की जाय तो देश की हर एक फेमिली को अंदाजन एक किलो सोना मिल सकता है. किस्मत का खेल देखिये, कई सारी फेमिलीज ऐसी होंगी जिनके पुराने घर- कोठियोमे खेतोमे, कुओंके अंदर करोडोंका सोना हिरे जवाहरात उन्ही के दादा परदादाओने छुपाकर रखा होगा...उसी घर मे उसी सोने के उपर ये सोते होंगे लेकिन हर रोज पाई पाई के लिये दूसरे की नौकरी करते होंगे. कैसी विडम्बना है देखिए...
       दूसरी जगह पर यह भी देखनेके लिये मिलता है कि सही जानकारी ना होने की वजह से, गलत बाबा भगत लोगोंके चक्कर मे फस जाने से जो हाथ मे पैसा है उसे भी लोग खो देते है. जिसका परिणाम शून्य या मायनस मिलता है.
       ऐसा क्यो होता है उसकी भी हम बाद मे चर्चा करेंगे. पहले हम यह जानकारी लेंगे कि क्या यह सच है की भारत देश मे बहोत सारी जगह पर खजाना यानी गुप्त धन होगा? इसका जवाब “हा” है. क्या कारण थे इसके पीछे? पहला था चौथी शताब्दी से लेकर ग्यारहवी शताब्दि तक यवनोंके आक्रमण... फिर सोलहवी शताब्दि तक समुंदर के मार्ग से आक्रमण फिर उन्निसवी शताब्दि तक फिरंगियोंके आक्रमण..उन्निसवी और बीसवी शताब्दि मे एक सन्नाटासा छाया रहा... कई प्रकार की जांनलेवा बीमारिया आई, भीषण अकाल पडे इसी के दरमियान लूट-पाट अपनी चरम सीमा पर थी... डाकूओंका कहर हर एक इलाकेमे भयानक रीती से बढा हुआ था... जमिंनदार, साहुकार लोगोंके अत्याचार अपनी चरम सीमा पर थे. कुछ फिरंगी लोगोने यही शादिया कि और धन को यही छुपाकर रखा.
       इन सभी स्थित्यंतरोंसे जब भारत देश गुजर रहा था तब... राज घरानोंके लोगोने, मध्यमवर्ग के परिवारोने अपनी सम्पत्ति जमीनमे गाडकर रखी...कि भविष्य मे उनके किसी पोता परपोता (यानी आप) को काम आये.
       इसके अलावा स्वयम लूट पाट करने वाले डकैत, चोर ये भी अपना सोना, हीरे जवाहरात कैसे छुपाते थे? तो जमीन मे गाडकर....
       दरिया के द्वारा भारत का इम्पोर्ट एक्सपोर्ट होता था... तो दरिया से व्यापारी भी आये और दरियाई लुटेरे भी...तो कई बार भारतीय किनारो पर, खाडियोंमे अक्सर सोने से लदे हुये जहाजोंको लुटेरोंके खौफ से डुबोया जाता था. या लुटेरोंसे युद्ध करते वक्त जहाज डूबते थे. वह अरबो खरबो कि सम्पत्ति अब तक वैसे कि वैसे ही समुंदर किनारे खाडियोमे पडी हुई है.
       मुघल साम्राज्य के दौरान और उससे भी पहले सोने के सिक्के- अशर्फियों- का चलन था. जब अग्रेजोंका शासन काल आया तो उन्होने सोने के सिक्कोंका चलन खत्म कर दिया... उस समय मे बहोत सारे सामान्य लोगो ने उन सिक्कोंको या तो दिवारोमे गाड दिया या खेत कि जमीन मे गाड दिया.
       साउथ इंडिया मे लोगोने अपना सोना मंदिरोंमे छुपाया या मंदिरोंके आजु-बाजू छुपाया...
       कुल मिलाकर दोस्तो अब वक्त आ गया है कि हमारी ही खुद की सम्पत्ति के हम वापस एक बार मालिक बन जाये...इसीलिये आपकी सेवा मे हमने “इंडिअन डिगर्स” नाम के कम्पनी की स्थापना कि है. इंडिअन डिगर्स... खजाने प्रोफेशनली ढूंढने का काम करती है.
       How we work
       इंडिअन डिगर्स... खजाने प्रोफेशनली ढूंढने का काम करती है.
       हमारे पास हाय ग्रेड कि टेक्नोलॉजी है जिनमे कम्प्युटराईज्ड मशींन्स के द्वारा जमीनके अंदर का खजाना मालूम पडता है.
       हमारे साथ अनेक सिद्धिया प्राप्त सिद्धहस्त गुरूजी है, जो जरूरी पूजा पाठ करते है. कि अगर किसी प्रेत आत्मा का वास उस खजाने के साथ हो तो उन आत्माओंको शांत किया जा सके. कई बार खजाने की रक्षा स्वयम नाग देवता करते है वो खजाने को यहा से वहा खिसकाने का काम करते है, या और गहरे पाताल लोक मे ले जाने का काम करते है. इसलिये उनकी विधीवत पूजा करना जरूरी हो जाता है.
       हमारे विधीयोंमे कहीं भी किसी भी प्राणी या पंछी का किसी प्रकार का कोई बली नही चढाया जाता. सिर्फ पावरफुल गूढ मंत्रजाप द्वारा खजाने को हासिल किया जाता है.
       यह काम अत्यंत गुप्त होने की वजह से, ‘कहा पर इससे पहले हमने खजाना ढूंढा’ इसकी जानकारी हम किसी को भी किसीभी हालत मे नही देते. समझीए के आपको दस करोड का खजाना मिला.. और इसकी जानकारी हम लोगोंको देने लगे तो क्या होगा? उसी दिन आपको लुटेरे बरबाद करेंगे. इसलिये मेहरबानी करके दूसरों के खजाने की एवं मालिकोंकी जानकारी लेने का प्रयास ना करे.
       लेकिन आपका काम हंड्रेड पर्सेंट पॉजिटिव तरिकेसे किया जायेगा इसकी हम गॅरंटी देते है. हमारी तरफ से सम्पूर्ण प्रयास किये जाते है.
       शंका लेनेवाले लोग, अति-चिकित्सा करने वाले लोग, अति लालची लोग, इन सब बातोंपे विश्वास ना करनेवाले लोग, बुद्धी द्वारा तर्क वितर्क एवम वाद विवाद करनेवाले लोगोंके साथ हम डिल नही करते.. क्योंकी मानववी यत्नोंके बावजूद आपका नसीब और उपरवाले कि मर्जी दोनो यहा पर काम करते है....हरि ॐ
       कौनसा काम करे कौनसा काम ना करे इसका डिसिजन सम्पूर्णता कम्पनी के डायरेक्टर्स के पास सुरक्षित है.
       Why we work
       हम “इंडियन डिगर्स” द्वारा समाज कि सेवा करना चाहते है. निश्चित: हम मुफ्त मे सेवा नही दे रहे है. हा, इसके लिये हम चार्ज भी लेते है. तो फिर समाज सेवा किस प्रकार से होती है? क्योंकि हमने ये देखा कि अच्छे लोग खजाना ढूंढ्नेके क्षेत्र मे ना होने कि वजह से इसमे बुरे, अनपढ, लालची, ढोंगी, पाखंडी लोग घुसे हुए है. जो अनेक बेजुबान मूक जानवरोंकी बली चढाते है. कई बार तो मनुष्य की भी बली चढाने का भी घोर पाप कुछ लोग करते है. पशू पंछी या नरबली की कुप्रथा के पीछे गुप्त धन कि अती लालच होती है.
       किसी किसी प्रांत मे औरतोंके साथ सम्भोग रचाया जाता है, ताकि पैसे कि बारिश हो या खजाना मिले... लेकिन उन बेचारी औरतोंका सिर्फ और सिर्फ यौन शोषण होता है... और कुछ भी नही.
       कई सारे जगहो पर ये पाखंडी बाबा लोग घर के सम्पूर्ण धन को इकट्ठा करने के लिये बोल देते है ताकी यह धन डबल या ट्रिपल हो सके. आखीरकार सभी लोगोंको बेहोश करके वह बाबा लोगोंकी मेहनतकी खून पसीने की कमाई लेकर उडन छू हो जाता है.
       कुल मिलाकर इस विषय पर सही मार्गदर्शन हेतू इंडिअन डिगर्स आपकी सेवा मे प्रस्तुत है.
       ध्यान मे रखिये, ग्यानी गुरु की गुरुदक्षिणा देने मे ना हिचकिचाए, क्योंकि अग्यान से होनेवाला नुकसान कई गुना ज्यादा घातक होता है
       What is your benefit
       आपका इस सबमे क्या फायदा है? यहॉ हम दो प्रकार के फयदे की बात करेंगे. पहला, जो स्वयम ओनर्स है उनके लिये हमारी कम्पनी अपना कुछ शेअर रखके काम करती है. जैसे फिफ्टी फ़िफ्टी, सिक्स्टी फोर्टी, या टोटल रिस्क बेनेफिट (मतलब, ओंनर्सको मुआईने के बाद एक फिक्स अमाउंट दी जाती है, फिर जो निकलता है उसमे प्रोफिट या लॉस कम्पनिका होता है. )
       दूसरा बेनेफिट फ्रीलांन्स डिलर्स (एजंट) के लिये है. अगर कोई समाज सेवक, इंडिअन डिगर्स कम्पनी और खजाना ओनर्स के बीच समझौता (कॉन्ट्रक्ट) करता है तो उसका बेनिफिट कम्पनी के डायरेक्टर्स, म्युच्युअल अंडरस्टेडिंग (उस वक्त की परिस्थितियोंके अनुसार) के द्वारा देंगे.
      

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